मैं देख रहा प्रभु ऊब गये-
तुम पीते-पीते गंगाजल;
थक गये देख तुम बेल-पत्र,
मन्दार-पुष्प, औ’ तुलसी-दल।
हूँ प्यासा देख तुम्हें, हे-
भगवन! आया मैं लेकर प्याला;
अब भोग लगाकर नीलकण्ठ,
कर दो पवित्र यह मधुशाला।
Monday, December 21, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment