Monday, December 21, 2009

(२)

मैं देख रहा प्रभु ऊब गये-
तुम पीते-पीते गंगाजल;
थक गये देख तुम बेल-पत्र,
मन्दार-पुष्प, औ’ तुलसी-दल।

हूँ प्यासा देख तुम्हें, हे-
भगवन! आया मैं लेकर प्याला;
अब भोग लगाकर नीलकण्ठ,
कर दो पवित्र यह मधुशाला।

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