Monday, December 21, 2009

(३)

मधु का मैं भी था महाशत्रु,
जब तक कर में न लिया प्याला;
पर एक बार जब मुझे पिला दी,
साकी ने जबरन हाला।

तब से मुझको यह ज्ञात हुआ,
हर घर, हर आँगन है प्याला;
सब जन पीते निशि-वासर मधु,
यह जगत प्रेम की मधुशाला।

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