Wednesday, December 23, 2009

(५०)

मदिरे तूने जाने मुझपे कब,
ऐसा जादू कर डाला;
हालत है मेरी कुछ ऐसी,
हूँ बिना पिये ही मतवाला।

इक दिन मैं भटकूँगा मजनूँ
बन, कहती है साकीबाला;
पर अब ना मेरे वश में मेरा
मन, ओ मेरी मधुशाला।

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