छककर पीयूँगा सुरा सोंच,
आकर बैठा मदिरालय में;
आदेश दिया साकी को, लेकर
आ इक मदिरा का प्याला।
लायेगा साकी और पियूँगा
छककर, इसी कल्पना में,
ना पता चला कब परमतृप्त
हो, छोड़ी मैंने मधुशाला।
Monday, December 21, 2009
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