पुत्री इसाई, पुत्र सिक्ख है,
हिन्दू है पति, मुस्लिम माँ है,
आज मेरे मदिरालय का, यारों
देखो कुछ अजब समाँ है।
जिसमें जिसकी जैसी श्रद्धा,
लो वही धर्म पीकर हाला;
है बोझ नहीं तन-मन-आत्मा
पर धर्म हमारी मधुशाला।
Wednesday, December 23, 2009
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