Wednesday, December 23, 2009

(२९)

मैं पुनर्जन्म लूँ भारत में,
ले दोनों हाथों में प्याला;
औ’ प्रथम वाक्य मेरे मुख से
निकले, "जय भारत, जय हाला"।

गर अन्तर में कुछ हो मेरे,
तो हो मानवता की ज्वाला;
जीवन भर जो कुछ कमा सकूँ,
उससे खुलवा दूँ मधुशाला।

No comments:

Post a Comment