Wednesday, December 23, 2009

(४४)

है देव नहीं वह है पत्थर,
स्वीकार न जिसको हो हाला;
मत कह देना मानव उसको,
हो पिया नहीं जिसने प्याला।

वह घर श्मशान समान जहाँ,
कोई ना हो पी मतवाला;
वह शहर नहीं प्रेतों का डेरा,
हो न जहाँ पर मधुशाला।

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