Wednesday, December 23, 2009

(३२)

मैं हूँ मधु का चिर-विक्रेता,
हूँ बेच रहा जीवन हाला;
मैं देख रहा हूँ सब पीते हैं,
ले अपना-अपना प्याला।

मधु वही एक इक मादकता,
अन्तर इतना सा है यारों;
कुछ की मधुशाला सोने की,
कुछ की मिट्टी की मधुशाला।

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